अखलाक़ अच्छा हो तो गैर भी अपने हो जाते हैं|क़ब्र| Akhalak is the best in hindi
अखलाक़ अच्छा हो तो गैर भी अपने हो जाते हैं|क़ब्र| Akhalak is the best in hindi
अखलाक़ अच्छा हो तो गैर भी अपने हो जाते हैं.
अगर अखलाक़ अच्छा नहीं तो अपने भी गैर हो जाते हैं.इतना ही नहीं मरने के बाद भी क़ब्र व हश्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
अल्लाह के रसूल ﷺ के ज़माने में एक शख्स का इंतकाल हो गया,क़ब्र खोदने वाले कब्र खोदने लगे लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी क़ब्र ना बन सकी.तब परेशान होकर अल्लाह के रसूल के पास आए और दस्तेअदब को जोरकर अर्ज़ करने लगे
या रसूल अल्लाह हम क़ब्र खोद रहे हैं लेकिन हमें मालूम यह होता है कि ज़मीन जैसे पत्थर की बन गई हो, हमारे औजार टूट रहे हैं.ऐसा क्यों?तो अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया.
अगर यह शख्स अपना अखलाक़ अच्छा रखता, तो ऐसा न होता,क्योंकि जिस इंसान का अखलाक़ बेहतर होता है उसकी क़ब्र नरम होती है.और उस पर कभी भी क़ब्र का अज़ाब नहीं होता.
फिर आप ने फ़रमाया एक प्याला पानी लाओ जैसे ही पानी आया आपने अपने मुबारक हाथ उस पानी में डालें और फ़रमाया जाओ जहां उसके कब्र बना रहे हो पहले उस जगह यह पानी छिड़को,उसके बाद क़ब्र खोदो.जैसे ही ऐसा किया गया तो वह ज़मीन नरम हो गई और उसकी क़ब्र बना दी गई.
इमाम जाफ़र सादिक़ ने फरमाया رضی اللہ تعالیٰ عنہ
अल्लाह जाहिद आबिद मुक्तक़ी इंसान से ज़्यादा
उस इंसान को पसंद करता है,जिसका अखलाक़ सबसे बेहतर हो.(जिसका अखलाक़ बेहतर नहीं वह अल्लाह का पसंदीदा बंदा नहीं होता.)
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