हम ऐसा क्या करें कि हमारी औलाद हमारा फरमाबरदार हो जाए
हम ऐसा क्या करें कि हमारी औलाद हमारा फरमाबरदार हो जाए
ह़ज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ि अल्लाहु ताअला अन्हु मस्जिद-ए-नबवी में हज़ारों तालीबे ईल्म को दर्स दिया करते थे.
मुख्तलिफ ईल्म सीखने के लिए दूर-दूर से हज़ारों लोग आते थे. और ह़ज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ि अल्लाहु ताअला अन्हु वह ईल्म जो उन्होंने अपने बाबा दादा और नाना रसूल अल्लाह ﷺ से सीखा वह ईल्म ज़माने तक पहुंचाया करते थे.
ह़ज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ि अल्लाहु ताअला अन्हु दर्स दे रहे थे,इतनी देर में एक शख्स आया और कहने लगा ऐ नवासा ए रसूलﷺ मुझे मुसलमान हुए ज्यादा अरसा नहीं हुआ,लेकिन मैं अपने मुल्क में तबलीग़ किया करता हूं,ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मुसलमान बने.
लेकिन चंद सवाल है जिनके जवाबात लेने के लिए मैं आप के दरबार में आया हूं.
मेरा पहला सवाल है किस किस्म के मर्द अल्लाह को महबूब है.
और किस किस्म के मर्द अल्लाह को पसंद नहीं.
और मेरा दूसरा सवाल है किस किस्म के औरतें अल्लाह को पसंद है.
और किस किस्म के औरतें अल्लाह को पसंद नहीं.
और तीसरा सवाल यह है कि हमें कैसे पता चले कि हमारी नमाज़ क़ुबूल है या नहीं.
और मेरा चौथा सवाल है कौन से बच्चे अल्लाह को पसंद है,और कौन से बच्चे अल्लाह को पसंद नहीं.
और मेरा आखिरी सवाल यह है कि हम ऐसा क्या करें कि हमारी औलाद हमारा फरमाबरदार हो जाए.
बस यह सवाल सुननी थी तो ह़ज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ि अल्लाहु ताअला अन्हु ने फरमाया.
जो मर्द अपने दौलत इज्जत और शोहरत पर तकब्बुर करें,और अपने बीवी पर जुल्म करें.
ऐसे मर्द अल्लाह को पसंद नहीं.
और जो मर्द किसी का दिल ना दुखाएं,और ह़़लाल रीज़्क कमाए,ऐसे मर्द अल्लाह को पसंद है.
और जो औरतें बहुत ही ज्यादा खर्चा करें.
और अपनी औलाद की सह़ी परवरिश ना करें, ऐसी औरतें अल्लाह को पसंद नहीं.
और जो औरतें कम खर्चा करें, और अपनी औलाद की अच्छी परवरिश करें, ऐसी औरतें
अल्लाह को अज़ीज़ है.
और जो बच्चे अपने बुजुर्गों की नाफरमानी करें, अपने वालिदैन का एहतराम ना करें,ऐसे बच्चे अल्लाह को पसंद नहीं नहीं.
और अगर यह तुम देखना चाहते हो. तुम्हारी नमाज़ अल्लाह के नज़दीक कुबूल हो रही है या नहीं
तो तुम यह देखो नमाज पढ़ने के बाद अगर नमाज तुम्हें गुनाहों से रोके तो तुम यह समझो तुम्हारी नमाज़ अल्लाह के नजदीक कुबूल है.
लेकिन नमाज के साथ तुम गुनाह भी करते रहो तो यक़ीन जानो अल्लाह के नज़दीक तुम्हारी नमाज़ वह मक़ाम नहीं रखती
और अगर तुम यह चाहते हो कि तुम्हारी औलाद तुम्हारा फरमा बरदार रहे तो तुम अपने वालिदैन के साथ फरमा बरदारी करो उनका एहतराम करो.
देखना अल्लाह तुम्हारी औलाद को फरमाबरदार बना देगा.
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