Success|How To Become Successful – Know It in hindi.
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
हम गरीब लोग हैं जरूरत पड़ने पर दिल निकाल कर रख देते हैं, तो फिर किडनी क्या चीज.
किसी महापुरुष ने कहा है कि कामयाब होने के लिए नहीं बल्कि काबिल होने के लिए पढ़ों
निशा पुर में एक गांव है जिसे दुनिया गज़ाला के नाम से जानती है, यह कहानी (वाकया) उन लोगों के लिए जानना बहुत ज़रूरी है जो कुछ करना चाहते हैं, कुछ हासिल करना चाहते हैं, दुनिया में अपनी मुकाम पाना चाहते हैं.
निशापुर गांव गज़ाला का एक बच्चा है, तारीख बताती है, वह बच्चा गरीब था किसी अमीर बिजनेसमैन का बच्चा नहीं था, वह एक गरीब का बच्चा था, लेकिन इल्म सीखना चाहता था.
तालिब ए इल्म था उसका यह शौक था कि मुझे कोई सिखाएं, मुझे भी कोई पढ़ाए, एक दिन उस बच्चे को यह खबर मिलती है, कि आपके इस गांव में एक वक्त का जो उस्ताद है, आलिम है, वह पढ़ाने आता है, उस बच्चे ने कहा कहां आता है, तो बताया कि फुला रईस के घर में आता है, रईसजादा था उसे पढ़ाने आता था, वह अमीर शख्स था.
लेकिन उस गरीब लड़के ने क्या किया, यहां पर एक बात बताता हूं “जब कोई बच्चे के जेब में पैसा ना हो और कोई आइसक्रीम वाला आता है तो बच्चे के क्या हालत होती है, वह बड़ी हसरत से आइसक्रीम वाले को देखता है, वह खरीद नहीं सकता क्योंकि उसके पास पैसे नहीं होते हैं,”
और इस बच्चे की हालत भी उस उस्ताद के लिए ऐसा ही था, उस्ताद घोड़े पर आता था,
6 किलोमीटर दूर गांव था उस्ताद को हसरत से देखता था, यह इल्म वाला है मुझे इनसे सीखना है, पढ़ना है.
कुछ दिनों के बाद उस्ताद ने घोड़ा रोका और उस बच्चे से पूछा बेटा क्या बात है, तुम क्या देखते हो उस बच्चे ने कहा उस्ताद ए मोहतरम अगर आप उस्ताद हैं तो मेरा नाम शागिर्द है, मैं आपसे सीखना चाहता हूं, उस्ताद ने कहा बेटा मैं सुबह आता हूं और शाम को पढ़ाकर जाता हूं यह मेरे लिए मुमकिन नहीं है कि मैं तुम्हें पढ़ा सकूं.
दोस्तों उस जमाने में home ट्यूशनें नहीं होती थी, एक ही टीचर होता था, और एक स्टूडेंट होता था, बादशाहों के बच्चे को तालीम मिलती थी, गरीब का बच्चा सोच भी नहीं सकता था.
लेकिन उस बच्चे ने कहा उस्ताद ए मोहतरम मेरे पास इसका एक हल (solution) है उस्ताद ने कहा क्या हाल है.
घोड़े पर बैठा उस्ताद और नीचे खड़ा 9 साल का बच्चा, गजाला गांव का गरीब बच्चा, उसने कहा हल ये है, मेरा सवाल है आप इजाज़त दें, जब आप घोड़े से वापस घर जा रहे होते हैं तो मैं आपसे सवाल कर लिया करूं?
इतना सादा सा, मासूम सा सवाल है, उस्ताद ने कहा ठीक है, मैं वापस जाऊंगा तुम सवाल कर लेना, उस्ताद ने सोचा,
होगा कितने सवाल होंगे तीन चार या पांच सवाल होंगे, सवाल थोड़े होंगे, उसने का ठीक है बेटे इजाज़त है.
दोस्तों तारीख बताती है उस्ताद घोड़े पर वापस जा रहा है तो शागिर्द ने पहला सवाल पूछा, दूसरा पूछा, तीसरा पूछा, 6 किलोमीटर खत्म हो गए, लेकिन सवाल खत्म नहीं हुई,फिर next day फिर 6 किलोमीटर खत्म हो गए, लेकिन सवाल खत्म नहीं हुए.
तारीख बताती है यह गांव का गरीब बच्चा 6 साल पैदल चलकर घोड़े पर बैठे बुजुर्ग उस्ताद से इल्म सिखता रहा, और आज इस बच्चे को दुनिया इमाम गज़ाली के नाम से जानती है.
और इमाम गज़ाली ने इस छोटे से वाक्य(The sentences) से सबक़ दे दिया,हमें यह सबक़ दे दिया बेटा मुफ़्त कुछ नहीं है.
जो कीमत अदा करता है नाम वही पता है, अगर इज़्ज़त वाला बनना है, अगर नाम वाला बनना है, अगर इल्म वाला बनना है,अगर कोई मुकाम वाला बनना है तो उसके लिए प्राइज pay कीजिए.
आपको कुछ हासिल करने के लिए उसकी कीमत अदा करनी पड़ेगी, अगर इल्म हासिल करना है तो इल्म की कीमत अदा करो.
इसके लिए रातें जाग जाग कर पढ़ना होगा,इसके लिए मेहनत करके टीचर के घर तक पैदल जाना होगा, इसके लिए आपको सुबह सुबह उठकर किताबे खोलनी होगी, और दिन रात एक करना होगा, और इस तरह कीमत अदा किए बगैर जिंदगी आपको कुछ देती नहीं है.
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